top of page
Readers' Oak Logo.png

अनकहे एहसास

Updated: May 10, 2021

कहानी (भाग 2)

शाम का वक्त था, उस दिन कॉलेज में कुछ अलग ही माहौल था। म्यूज़िक बज रही थी और फर्स्ट ईयर के दो लड़कों ने डीजे का मोर्चा संभाला हुआ था। तब लखनऊ में ऐसे मौके कम ही मिलते थे, पहले मुज़िक पार्टी होने के और दूसरा मां बाप से परमिशन मिलने के। इसलिए सब स्कूल और कॉलेज की ही पार्टियों मे कसर पूरी कर लेते थे।


ree

उस दिन सब एक से बढ़ कर एक लग रहे थे जैसे कि मि. या मिस इंडिया कॉन्टेस्ट में आएं हों। सब इस दिन के लिए पूरे एक महीने से तैयारी में जुटे हुए थे। सब यही सोचकर आए थे कि सबकी निगाहें उन्हीं पर हों। कोई किसी से कम नहीं दिखना चाहता था। मैं भी ऐसे ही तैयार होकर गया था पर मेरी वजह थी-- सपना।


पीछे फिल्मी गाने चल रहे थे कुछ लोग उनकी धुनों पर थिरक रहे थे, कुछ ग्रुप बना कर बाते कर रहे थे और कुछ अलग अलग लोकेशन्स पर फोटो खिचवाने में लगे हुए थे।

मैं... मैं इन सबकी निगाहों से दूर, एक बेंच के उस हिस्से में बैठा था जिस तरफ थोड़ा अंधेरा था। मैं छवि के सामने पड़ना नहीं चाह रहा था या शायद किसी के भी और दिल ही दिल में सपना को तलाश रहा था।


छवि ---- हमारे कॉलेज की सबसे खूबसूरत लड़की। ज़्यादातर शांत ही रहती थी। लंबा कद, तीखे नैन नक्श, गेहुंआ रंग, और कमाल का फिगर। पढ़ने में भी ठीक ठाक थी, तीनों साल बिना बैक पेपर के निकाल लिए थे। ये भी अपने आप में एक उपलब्धि थी तब।


छवि और मैं करीब एक साल से एक दूसरे को डेट कर रहे थे, जिस वजह से कॉलेज के सभी लड़के मुझसे जलते भी थे। पूरे साल भर की मुशक्कत के बाद सेकेंड ईयर में छवि ने मेरा प्रोपोज़ल स्वीकार किया था। उसकी खूबसूरती और शांत स्वभाव की वजह से सब उसे घमंडी समझते थे।

पर यह सच नहीं था, वो तो बहुत सिंपिल लड़की थी, थोड़ी बवकूफ़, छोटे छोटे मज़ाक भी उसे समझाने पड़ते थे। कॉलेज में उसके ज़्यादा दोस्त भी नहीं थे सिवाय मेरे और उसकी बेस्ट फ्रेंड अर्चना के, और कभी कभार मेरे दोस्त दीपक से भी बात लेती थी वो भी तब जब हम सब साथ होते थे। उसके पिता जी एक प्राइवेट ऑफिस में काम करते थे और मां हाउसवाइफ थी। उसका एक छोटा भाई भी था जो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं करता था, ना मैं उसे। वो था तो छह फुट लंबा पर इतना पतला कि डंडे जैसा लगता था। और मुझे हमेशा लगता था कि वो छवि को मेरे खिलाफ भड़काता रहता है।

अपनी परेशानी में मैंने अपने बारे में तो बताया ही नहीं। मेरा नाम शशांक श्रीवास्तव है, हूं तो मैं भी छह फुट लंबा पर कभी डंडे जैसा नहीं लगा, और अगर कॉलेज के सभी लड़के छवि के पीछे पड़े थे तो मुझे भी कुछ कम फीमेल अटेंशन नहीं मिलती थी। मेरे पिताजी एक गजेटेड ऑफिसर थे और यही वजह थी कि वो मुझसे यूपीएससी क्लियर करने की उम्मीद रखते थे। मेरी मां पास के एक स्कूल में कुछ गरीब बच्चों को पढ़ाती थीं और मेरी सबसे अचछी दोस्त थीं।


ये तब की बात है जब हम थर्ड ईयर में आए थे। छवि ने कैट (CAT) की कोचिंग ज्वाइन कर ली थी और उसी की तैयारी में लगी रहती थी, जिस वजह से उसने कॉलेज अना भी कम कर दिया था। एक दिन कॉलेज में सनसनी मच गई। सब किसी न्यू एडमिशन की बात कर रहे थे। हर तरफ एक ही चर्चा हो रही थी कि "नई लड़की जो आयी है वो बिल्कुल छवि के टक्कर की है, अब टूटेगा छवि का घमंड"।

बात उड़ते उड़ते जब मेरे कानों तक आयी तो मेरा मन भी हुआ उस देखने का।

एक दिन दीपक क्लास में भागते हुए आया और उसने बताया कि वो 'न्यू एडमिशन' कैंटीन में बैठी है। फिर क्या था, भला ऐसा मौका मैं अपने हाथों से कैसे जाने देता, मैं सब कुछ छोड़कर दीपक के साथ कैंटीन की तरफ भागा।। वहां जाकर देखा तो सपना कुछ लड़के लड़कियों के साथ एक टेबल पर बैठी थी। उसने उसी साल आर्ट्स स्ट्रीम में फर्स्ट ईयर में एडमिशन लिया था और सब उसी के बारे में बात कर रहे थे।..........

Comments


CONSULTING

Readers' Oak Logo.png
Contact

Tel: +91 8112976363

Email: info@readersoak.com

  • Pinterest
  • LinkedIn
  • Black Twitter Icon
  • Black YouTube Icon
Lioonnize Logo - rectangle - New- Small.

Design, Developed and Powered by www.lioonnize.com

bottom of page